सारी दुनिया को देखा है हमने ,
कोई नजरों में जचता नहीं है ।
एक दयानंद ऐसा मिला है ,
जिसके जीवन में धब्बा नहीं है ।।
उसने सच्चे को सच्चा बताया,
और झूठे को झूठा बताया ।
सच्चे वेदों का मार्ग बताया,
जिसमें खतरा व खटका नहीं है ।।
वह तो निकला था घर से अकेला,
पैसा धैला न संग चेली चेला ।
जिसका ईश्वर ही था एक सहेला ,
दुश्मनों से भी डरता नहीं है ।।
उसने आर्य समाज बनाई ,
सोई भारत की जनता जगाई ।
आजादी की महिमा बताई ,
आर्य बंधन में रहता नहीं है ।।
उसको लोगों ने जहर पिलाया ,
बदले में उसने अमृत पिलाया ।
और इज्जत से जीना सिखाया ,
झूठ अभय राम कहता नहीं है ।।
जिस ने पतितों को पावन बनाया ,
लाख दलितों को सीने से लगाया ।
नारी जाति का गौरव बताया ,
उसके जैसा ना दूजा नहीं है ।।
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दयानंद जी के भजन