वैदिक संस्कार क्यों किये जाते हैं ? 1. गर्भाधान संस्कार - युवा स्त्री-पुरुष उत्तम सन्तान की प्राप्ति के लिये विशेष तत्परता से प्रसन्नतापूर्वक गर्भाधान करे। 2. पुंसवन संस्कार - जब गर्भ की स्थिति का ज्ञान हो जाए, तब दुसरे या तीसरे…
NEWS WRITER PROFESSOR - SABIR JEE SSM COLLEGE DINA NAGAR एसएसएम कॉलेज दीनानगर में स्वामी सदानंद की अध्यक्षता एवं डॉक्टर आरके तुली के नेतृत्व में दयानंद मठ दीनानगर के संस्थापक लोह पुरुष, फील्ड मार्शल स्वामी स्वतंत्…
भाषा PDF डाउनलोड करें ध्यान रखें सम्पादित करें वैदिक धर्म से आशय उस धर्म से है जो वैदिक काल (अनुमानतः 1500 ईसापूर्व से 500 ईसापूर्व) में भारत के भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी-पश्चिमी भाग (पंजाब तथा गंगा के मैदान का पश्चिमी…
स्वामी स्वतंत्रतानंद का जीवन और दर्शन जन्म: स्वामी स्वतंत्रतानंद जी का जन्म पौष मास की पूर्णिमा सन 1877 ई. में हुआ। महर्षि दयानंद सरस्वती भी इसी सन् में प्रथम बार पंजाब के लुधियाना नगर में पधारे थे। उसी वर्ष लुधियाना से कुछ मील …
• ईश्वर की सर्वव्यापकता का हमारी नैतिकता पर प्रभाव • महर्षि दयानंद जी ने ईश्वर के सर्वव्यापक स्वरूप को विशेष महत्त्व दिया है। उनके अनुसार, ईश्वर हर जगह मौजूद है और वह सभी आत्माओं और सभी भौतिक अस्तित्व में व्याप्त है। वह उन सभी क…
इतिहास में छुपाया गया एक सच ....वीर सावरकर जी । 45 साल के महात्मा गाँधी 1915 में भारत आते हैं, 2 दशक से भी ज्यादा दक्षिण अफ्रीका में बिता कर। इससे 4 साल पहले 28 वर्ष का एक युवक अंडमान में एक कालकोठरी में बन्द होता है। अंग्रेज उस…
छत्रपति वीर संभाजी महाराज 11 मार्च को जिनका बलिदान हुआ था पढ़िए उनके रंगोटे खड़ी कर देने वाली जीवन गाथा वीर शिवाजी के पुत्र वीर शम्भा जी का जन्म 14 मई 1657 को हुआ था। आप वीर शिवाजी के साथ अल्पायु में औरंगजेब की कैद में आगरे के …
जीवात्मा 1) जीवात्मा किसे कहते है ? उत्तर = एक ऐसी वस्तु जो अत्यंत सूक्ष्म है, अत्यंत छोटी है , एक जगह रहने वाली है, जिसमें ज्ञान अर्थात् अनुभूति का गुण है, जिस में रंग रूप गंध भार (वज़न) नहीं है, कभी नाश नहीं होता…
हो देव दयानंद देख लिया तेरे कारण, जन-जन को हम सबको मिला है यह नव जीवन, तुझे है सो सो बंधन, करे तेरा अभिनंदन ............ ओ देव दयानंद..... हुआ अज्ञानता का दूर अंधेरा। घर घर ज्ञान के दीप जले तेरे कारण। जन जन को..... झाड़ झंख…
ऋषि ने जलाई है जो दिव्य ज्योति जहां में सदा यूं ही जलती रहेगी.. तर्ज - यह माना मेरी जां मुहब्बत सज़ा है। ऋषि ने जलाई है जो दिव्य ज्योति जहां में सदा यों ही जलती रहेगी । हज़ारों व लाखों को रस्ता मिलेगा करोड़ों के जीवन बदलती रहेग…
लड़ने वाले हजारों को बेहाल कर गया, वो ऋषि था अकेला जो कमाल कर गया, लड़ने वाले...... चाहता था लाना, समय वह पुराना, कि स्वर्ग बनाना जमाना पर अविद्याओं ने सबको अनघेरा था, सब दिशाओं में छाया घोर अंधेरा था। बनकर शमा की जाला बेमि…
ऋषि कौम का रहनुमा बन के आया। दुखी बे बसों का सखा बन के आया। ऋषि कोम का रहनुमा.............. अंधेरों ने काबू किए थे उजाले। लगाए हुए थे जिन आंखों पर ताले। खुली रोशनी का दिया बन के आया। ऋषि कौम का रहनुमा............ निराशा …