माता जी तस्वीर को रोजाना भोग लगातीं हैं। अगले दिन साफ़ करती है क्योंकि भोजन ज्यों का त्यों लगा हुआ है। हमने कहा माताजी तस्वीर ने कुछ खाया नहीं।
माता जी ने कहा मान लो तस्वीर ने खाना खा लिया है।
पंडित जी नें पथ्थर की मुर्ति को तीन बार ओम प्राण:
आगच्छतु कह कर मुर्ति में प्राण फुक दिए ।
हमने कहा पंडित जी ये मुर्ति चेतन प्राणवान लोगों की तरह व्यवहार क्यों नही करती ?
पंडित ने कहा मान लो मुर्ति में प्राण आ गयें हैं ।
एक व्यक्ति कौवों को भोजन कराता है पितर मान कर ।
हमने कहा ये कौवा किसी पडोसी का भी पितर हो सकता है ।
उन्होंने नें कहा मान लो ये हमारा ही पितर है ।
हमारे मोहल्ले में रातभर माता का जागरण हुआ ।सुबह हमने कहा क्या माताजी जाग गईं ?
उन्होंने कहा मान लो माताजी जाग गईं ।
पडोसी के घर में एक औरत को दोरे पड़ गए ।वो नाचते लगीं ।हमने कहा इसे हस्पताल ले चलो ।लोगों नें कहा इसमें माताजी आई हुईं हैं ।इस पर हमने कहा माताजी आई होती तो नाचती क्यों ?खुद दुष्टों का संहार करतीं ।
लोगों नें कहा आप मान लो माताजी आई हैं ।
इसी मान लो नें हिंदू समाज का सबसे बडा विनाश किया है ।
इस मान लो पर अविद्या अंधश्रद्धा अंधविश्वास और पाखंड झुठ खड़ा होता है ।
आओ चलें अविद्या से विद्या की और
अंधकार से प्रकाश की और
आओ चले गुलामी से स्वराज्य की ओर ।
आओ वेदों की और लोटे ।