प्रभु समर्पित होने पर प्रभु किस प्रकार रक्षा करते हैं इसका एक रोचक एवं बोधगम्य दृष्टांत कबूतर की कथा में मिलता है --- कथा यह है कि कबूतर का एक जोड़ा अपने घोंसले में बैठा था। तभी एक व्याध आया और इन्हें मारने के लिए तीर ताने निशाना साधने लगा । कबूतर जोड़े ने जब यह देखा तो वह उड़ जाने को तैयार हुआ , पर ऊपर देखा तो एक बाज उन पर झपटने को वहीं मंडरा रहा था । अब तो उनके लिए विकट समस्या बन गई । बैठे रहते हैं तो व्याध मार देगा और उड़ते हैं तो बाज नहीं छोड़ेगा । जब बचाव का कोई रास्ता नहीं सूझा तो हताश हो आँखे बन्द कर लीं और वहीं बैठे रहे । प्रभु से रक्षार्थ सम्भवतया प्रार्थना करने लगे । इतने में जाने कहाँ से एक भयंकर विषधर नाग निकल आया और व्याध को पाँव में डस लिया । उसके डसते ही व्याध के हाथ से तीर छूटा और वह सीधा बाज को लगा । व्याध भी मर गया औऱ बाज भी । और कबूतर जोड़े की रक्षा हो गई । कबूतर जैसा निरीह पक्षी जो कभी किसी का बुरा नहीं करता कभी कोई हिंसा नहीं करता , शुद्व पवित्र स्वभाव का प्राणी है और मुसीबत पड़ने पर आँखे बंद कर ईशकृपा की याचना करने लगता है ऐसे प्राणी की रक्षा प्रभु ऐसे ही करते हैं।
इसी प्रकार मन , वचन व कर्म से सुकर्म करते हुए अपने व्यक्तित्व को पवित्र बनाते हुए सही तरीके से संध्योपासना करते हुए हम भी प्रभु में समर्पण हों जाएँ ।
आपका शुभेच्छुक
महेन्द्र कुमार शास्त्री
9416118558
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