हैदराबाद सत्याग्रह
जब हैदराबाद के निजाम ने हिंदू मंदिरों में पूजा पर रोक लगा दी थी और हिंदु मंदिरों में ताले लगा दिये थे तो कोई पंडा, पुजारी या मठाधीश आगे नहीं आया। सब चुपचाप अपने घरों में घुस गये थे।
उसी समय दयानंद मठ दीनानगर के संस्थापक लोह पुरुष फील्ड मार्शल स्वामी स्वतंत्रानंद सरस्वती जी के नेतृत्व में एक आंदोलन लड़ा गया और हैदराबाद में लगे मंदिरों पर से आताताइयों का अधिकार समाप्त करवाया ,,,,,
उस समय केवल आर्य समाज ने आंदोलन किया। अनेकों आर्य समाजियों ने कुर्बानियां दी। और मंदिरों के ताले खुलवाये थे। तब जाकर हिन्दुओं को उनके मंदिरों में पूजा का अधिकार मिला था।
तब निजाम ने आर्य नेता स्वामी स्वतंत्रानंद से यह पूछा था कि आप तो बुतों की पूजा नहीं करते, आप तो बुतपरस्ती के खिलाफ हो तब आपने मूर्तियों वाले मंदिर खुलवाने के लिये यह इतना बड़ा सत्याग्रह क्यों चलाया?
तब स्वामी स्वतंत्रानंद व उनके साथ गये प्रतिनिधि मंडल के आर्य नेताओं ने निजाम को जवाब दिया था कि हम आर्य है। हम बुतों की पूजा नहीं करते।
परंतु जिनके ये बुत हैं जिनकी ये मूर्तियां है, वे हमारे महापुरुष हैं।
श्री राम, श्री कृष्ण व हनुमान जी इत्यादि जिनकी भी हिंदू मंदिरों में मूर्तियां लगी हैं, वे सब हमारे पूर्वज है। वे सब हमारे प्रेरणा स्रोत हैं। बेशक हम आर्य इनकी मूर्तियों की पूजा नहीं करते परंतु जो भी इन मूर्तियों की पूजा करते हैं वे हमारे ही भाई हैं।
हम दोनों पक्ष आपस में एक कैंची की तरह हैं हम स्वयं जितना भी इस कैंची के दोनो सिरों को एक दूसरे के साथ चलाते रहें कोई प्रभाव पड़ने वाला नहीं है,, परंतु जो इस कैंची के बीच मे आ जाता है वह कट ही जाता है तब निजाम की आखें फटी की फटी रह गईं थीं।
आर्यों की कुर्बानियों का बहुत बड़ा इतिहास है। जिसका हर भारतीय एहसानमंद है।
तो आओ उसी महापुरुष का जनवरी 6 7 8 को जन्म दिवस बड़ी धूमधाम के साथ दयानंद मठ दीनानगर में मनाया जा रहा है आप सभी इस में सम्मिलित होकर पुण्य के भागी बनें।।।।
धन्यवाद ।।