* वेद उपदेश *


शिव  - संकल्प   (मन्त्र  2 )

ॐ  येन  कर्मान्यपसो  मनीषिणो  यज्ञे  कृण्वन्ति  विदथेषु  धीराः  |
यद्पूर्वं    यक्षमन्तः    प्रजानां    तन्मे    मनः     शिवसंकल्प्मस्तु   ||
                                                  [यजुर्वेद , 34 / 1 / 2 ]
हे प्रभु  !  जिस  मन  से पुरुषार्थि , धीर एवं मनस्वी परुष सत्कर्म  और युद्धादि मे भी इष्ट कर्मों को करते हैं , जो  यह  मन   उत्तम गुण , कर्म , स्वभाव वाला है और प्राणिमात्र के हृदय में एकीभूत हो रहा है , वह मेरा  मन  शिव संकल्पों वाला होवे शिव  - संकल्प ,  (मन्त्र - 3 )
    यत्प्रज्ञानमुत     चेतो      धृतिश्च   |   यज्जोतिरन्तरमृतं       प्रजासु   | 
यस्मान्न  ऋते   किञ्चन   कर्म    क्रियते ,  तन्मे    मनः   शिवसंकल्पमस्तु  || 
                                                             [यजुर्वेद , ३४ / १ / ३ ]
जिस  मन  के अंदर ज्ञान -शक्ति , चिंतन -शक्ति ,  धैर्य -शक्ति रहती है , जो  मन  प्रजाओं में अमृतमय और तेजोमय है , जो इतना शक्तिशाली है कि इसके बिना मनुष्य कोई भी कर्म नहीं कर सकता है , सभी कर्म इसी की सहायता से किये जाते हैं , हे परमात्मा  ! यह मेरा  मन  शिव संकल्पों वाला होवे |

यह वेद मंत्र का अनुवाद महात्मा ज्ञानेन्द्र अवाना जी द्वारा

ये त्वा देवोस्रिकं मन्यमानाः पापा भद्रमुपजीवन्ति पज्राः।
न दूढ्ये अनु ददासि वामं बृहस्पते चयस इत्पियारुम्॥ ऋग्वेद १-१९०-५॥🙏💐

हे परमेश्वर ! आप उन विलासी पापियों को आशीर्वाद प्रदान नहीं करते,जो आपको बूढ़ा बैल समझते हैं,जो ज्ञानी और दानी होने का नाटक करते हैं परंतु हैं ढोंगी। आप उनको अपना आशीर्वाद देते हैं जो आप को समर्पित हैं, और सत्य मार्ग पर चलते हैं।🙏💐

O  God !  You do not bestow bliss to those luxuriant sinners who consider You an old ox, who pretends to be knowledgeable and welfare doer but are hypocrites. You bestow bliss to those who are dedicated to you, and follow the path of truth. (Rig Veda 1-190-5)🙏💐 #vedgsawana🙏💐

वेदामृत
कालो अश्वो वहति। 
(अथर्ववेद- 19/53/1) 
समय रूपी घोड़ा भागा जा रहा है। इसलिए अपने समय को व्यर्थ न जाने दें। तनिक सी देर होने पर  गाड़ी छूट सकती है, परीक्षा में सम्मिलित होने से वंचित रह सकते हैं, साम्राज्य भी नष्ट हो सकते हैं। 
यदि हम मूर्खों की तरह अपने समय को व्यर्थ खोते रहेंगे, अपने जीवन के अमूल्य क्षण आलस्य, प्रमाद, बेकार की गपशप में, तुच्छ मनोरंजन में खोते रहेंगे तो याद रखो हम महानता से वंचित हो जायेंगे तथा कठिनाइयों में फँसकर दर दर की ठोकरें खाते रहेंगे। इसलिए क्यों न हम अमूल्य समय का सम्मान करते हुए शुभ कर्म करें और परम पिता परमात्मा का ध्यान करें।

1 टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें
और नया पुराने