जन्म : *30.06.1897* पुण्यतिथि: *28.12.1982*
.....................................................................
📝राष्ट्रभक्त मित्रों, आज हम एक ऐसे गुमनाम क्रांतिकारी का संक्षिप्त जीवन परिचय जानेंगे , जिनका मातृभूमि की स्वतंत्रता के लिए दिया गया योगदान बहुत ही सराहनीय रहा है। मैं बात कर रहा हूँ मनिंद्र नाथ नायक जी का जिनका जन्म बंगाल के हुगली जिले के चंदन नगर (फ्रांसीसी उपनिवेश) में हुआ था। मनिंद्र नाथ नायक जी के पिता का नाम भूषण चंद्र नायक था। *मनिंद्र नाथ नायक जी चंदननगर के पहले विज्ञान स्नातक व्यक्ति थे।* उन्होंने सन् 1913 में स्कॉटिश चर्च कॉलेज से *B.Sc* पास किया, लेकिन पुलिस रिपोर्ट के कारण *M.Sc* की शिक्षा के लिए प्रेसीडेंसी कॉलेज, कलकत्ता में प्रवेश नहीं मिल सका, क्योंकि मनिंद्र नाथ नायक जी विद्यार्थी जीवन से ही क्रांतिकारी गतिविधियों के प्रति आकर्षित थे तथा अनुशीलन समिति जैसे गुप्त संगठनों से जुड़ गए थे। मनिंद्र नाथ नायक जी वर्ष 1908 में हुए मनिक्तल्ला क्रांतिकारी घटना के पहले से ही नारियल के खाली खोल में विस्फोटक लगाकर बम बनाया करते थे। इस घटना के बाद रिपन कॉलेज, कलकत्ता के प्रोफेसर सुरेश चंद्र दत्ता जी ने इन्हे और प्रशिक्षित किया।
📝 *मित्रों, मनिंद्र नाथ नायक जी द्वारा ही तैयार बम को महान राष्ट्रभक्त रास बिहारी बोस जी ने बसंत कुमार बिस्वास के हाथों 23 दिसंबर, 1912 को लॉर्ड चार्ल्स हार्डिंग को जान से मारने के लिए दिल्ली के चाँदनी चौक इलाके में इस्तेमाल किया। इस केस को दिल्ली-लाहौर षड़यंत्र केस के नाम से जाना जाता है।* मनिंद्र नाथ नायक जी अपने साथियों के साथ बड़ी बड़ी क्रांतिकारी घटनाओं को अंजाम देकर अपने गृह क्षेत्र चंदन नगर भाग जाते थे, क्योंकि चंदन नगर एक फ्रांसीसी उपनिवेश था, इसीलिए अंग्रेज़ी सरकार इन्हें इस क्षेत्र में आकर गिरफ्तार नहीं कर सकती थी। *मनिंद्र नाथ नायक जी को ही 26 अगस्त, 1914 को घटित बड़ी क्रांतिकारी घटना रोडा कंपनी हथियार लूट से प्राप्त मॉजर पिस्तौल और गोलियों की भारी शिपमेंट की रखवाली का जिम्मा दिया गया था।* मनिंद्र नाथ नायक जी वर्ष 1919 में वे फ्रेंच इंडिया लेजिस्लेटिव असेंबली के सदस्य बने और वर्ष 1920 में पांडिचेरी सम्मेलन में गए। मनिंद्र नाथ नायक जी ने अरबिंदो घोष जी के साथ करीबी संबंध विकसित किए और उनके साथ नियमित संपर्क बनाए रखा। वह प्रभातक संघ द्वारा आयोजित सामाजिक कार्यों से भी जुड़े और मोतीलाल रॉय द्वारा शुरू की गई प्रभातक पत्रिका के संपादक बने। * ऐसे अद्भूत व अद्वितीय राष्ट्रभक्त मनिंद्र नाथ नायक जी के सम्मान में हम नतमस्तक हैं।*
शास्त्री लोभी राम