ऋषि कौम का रहनुमा बन के आया।
दुखी बे बसों का सखा बन के आया।
ऋषि कोम का रहनुमा..............
अंधेरों ने काबू किए थे उजाले।
लगाए हुए थे जिन आंखों पर ताले।
खुली रोशनी का दिया बन के आया।
ऋषि कौम का रहनुमा............
निराशा का बादल हवा में उड़ाए।
उम्मीदों के फिर से चमन मुस्कुराए।
सुहाने सफर की सदा बन के आया।
ऋषि कौम का रहनुमा...............
गुलामी के दिन थे गुलामी की रातें।
गुलामी के धंधे गुलामी की बातें।
गुलामी पर कहरे खुदा बन के आया।
ऋषि कौम का रहनुमा.................
यतीमों के घाव पर मरहम लगाने।
तड़पते दिलों को दिलासा दिलाने।
पथिक दर्दे दिल की दवा बन कर आया।
ऋषि कौम का रहनुमा.................